Class 12th Physics Most VVI Short Long Type Question इन्टर परीक्षा भौतिकी विज्ञान प्रत्यावर्ती धारा चैप्टर महत्वपूर्ण प्रशन
12th Physics Short Long Question
Class 12th Physics Most VVI Short Long Type Question इन्टर परीक्षा भौतिकी विज्ञान प्रत्यावर्ती धारा चैप्टर महत्वपूर्ण प्रशन
प्रत्यावर्ती धारा
1. एक ट्रांसफॉर्मर में ऊर्जा क्षय को नामांकित करें।
Ans. ट्रांसफॉर्मर में ऊर्जा क्षय (Energy Losses in Transformer)
(i) ताम्र क्षय (Copper loss)- ट्रान्सफॉर्मर में ताँबे से बनी प्राथमिक तथा द्वितीयक कुण्डलियों में कुछ-न-कुछ ओमीय प्रतिरोध R अवश्य होता है, अतः इनमें धारा I प्रवाहित होने से I2R ऊर्जा की हानि होती है। इसी को ताम्र क्षय कहते हैं। यह हानि कुण्डलियों में ऊष्मा के रूप में देखी जा सकती है।
(ii) फ्लक्स हानि (Flux loss)- व्यावहारिक ट्रान्सफॉर्मर में प्राथमिक कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स द्वितीयक कुण्डली से पूर्णतः सम्बद्ध नहीं होता, अतः प्राथमिक को दी गयी ऊर्जा का कुछ अंश नष्ट हो जाता है। इस प्रकार के ऊर्जा क्षय को फ्लक्स हानि कहते हैं।
(iii) भँवर धारा हानि (Eddy current loss)- जब ट्रान्सफॉर्मर की क्रोड से परिवर्ती चुम्बकीय फ्लक्स सम्बद्ध होता है तो भँवर धाराएँ उत्पन्न होती हैं जिनके कारण क्रोड में ऊष्मा के रूप में ऊर्जा क्षय होता है। इस ऊर्जा क्षय को कम करने के लिए ही ट्रान्सफॉर्मर की क्रोड पटलित बनायी जाती है।
(iv) शैथिल्य हानि (Hysteresis loss)- ट्रान्सफार्मर की प्राथमिक कुण्डली में प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर यह लौह क्रोड को बार-बार चम्बकित तथा विचम्बकित करती है जिससे इस क्रिया में कुछ ऊर्जा क्षय होता है। एक पूर्ण चक्र में व्यय होने वाली यह ऊर्जा शैथिल्य पाण (hysteresis loop) के द्वारा घिरे क्षेत्रफल के बराबर होती है, अत: संको शैथिल्य पाश वाले पदार्थ की क्रोड बनाकर इस ऊर्जा क्षय को कम किया जा सकता है।
(v) गुंजन क्षय (Humming loss) अर्थात् क्रोड के कम्पन के कारण हानि – ट्रान्सफॉर्मर की क्रोड के बार-बार चुम्बकित तथा विचुम्बकित होने के कारण क्रोड में कम्पन उत्पन्न हो जाते हैं जिससे ट्रान्सफॉर्मर गंज ध्वनि (humming sound) उत्पन्न करता है। इस क्रिया में कछ विद्यतन यान्त्रिक ऊर्जा के रूप में क्षय हो जाती है। क्रोड के कम्पन. के कारण होने वाला यह ऊर्जा क्षय ही गुंजन क्षय कहलाता है। .
2. एक प्रत्यावती धारा का समीकरण I = 20 sin 200 πt है। धारा की आवृत्ति, शिखर मान तथा वर्ग माध्य मूल मान ज्ञात कीजिए।
3. ट्रांसफॉर्मर क्या है?
Ans. ट्रांसफॉर्मर (Transformer) यह अन्योन्य प्रेरण की घटना पर आधारित एक ऐसी युक्ति है जो प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टता को परिवात करने के उपयोग में लायी जाती है। ये दो प्रकार के होते हैं
(i) उच्चायी ट्रांसफॉर्मर (Step-up Transformer)- यह निम्न वोल्टता की प्रबल धारा को उच्च वोल्टता की निर्बल धारा में परिवर्तित करता हैं
(i) अपचायी ट्रांसफॉर्मर (Step-down Transformer)- यह उच्च वोल्टता की निर्बल धारा को निम्न वोल्टता की प्रबल धारा में परिवर्तित करता हैं
4. ट्रांसफॉर्मर की दक्षता से आप क्या समझते हैं?
Ans. ट्रांसफॉर्मर की दक्षता (Efficiency of Transformer) ‘η’ इसको निम्नांकित सूत्र से व्यक्त किया जाता है द्वितीयक कुण्डली में शक्ति ।
η = द्वितीयक कुण्डली में शक्ति / प्राथमिक कुण्डली में शक्ति × 100%
ट्रांसफॉर्मर का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि प्राथमिक कुण्डली की समस्त ऊर्जा (समस्त शक्ति), द्वितीयक कुण्डली को हस्तान्तरित हो सकें। एक आदर्श ट्रांसफॉर्मर वह होता है जो प्राथमिक कुण्डली की समस्त ऊर्जा को द्वितीयक कुण्डली को दे सके। अर्थात् आदर्श ट्रांसफॉर्मर की दक्षता 100% होती है।
5. प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रतिघात एवं प्रतिबाधा क्या है?
उत्तर– प्रतिबाधा– विद्युत के संदर्भ में, किसी परिपथ पर वोल्टता आरोपित करने पर उसमें धारा के प्रवाह के विरोध की माप का नाम प्रतिबाधा है। संख्यात्मक मान की दृष्टि से किसी परिपथ की प्रतिबाधा उस परिपथ के सिरों के बीच सम्मिश्रित वोल्टता तथा सम्मिश्र धारा के अनुपात के बराबर होती है।
प्रतिघात:- विद्युत प्रणालियों में किसी अवयव द्वारा धारा अथवा वोल्टता के परिवर्तन के विरोध को उस अवयव का प्रतिघात कहते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र धारा के परिवर्तन का विरोध करता है। जबकि विद्युत क्षेत्र, वोल्टता के परिवर्तन का विरोध करता है।
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